Site icon पद्यपंकज

छठ पर्व की स्वच्छता हर रोज- धीरज कुमार

Dhiraj

आते ही छठ पर्व सुंदर लग रहा है आस -पड़ोस।

ऐसे ही साफ सफाई रहती हमेशा हर रोज।।

स्वच्छता के पैमाने पर भी आगे रहते हम लोग।

काश ! छठ पर्व की तरह हम स्वच्छता रखते हर रोज।।

जहां साल भर एक झाड़ू चलते न देखा।

वहां भी चकाचक है हर रूप रेखा।।

जहां सालभर खरपतवार थे घाट किनारे,लेने वाले नही थे कोई सुध।

पूरी तन्मयता से लगे हुए सभी, कही गंदगी रह जाए ना छूट।।

गंदगी पर चोट करने से बीमारी पर लगती रोक।

काश ! छठ पर्व की तरह हम स्वच्छता रखते हर रोज।।

जितने शुद्धता से गेंहू से चुनना होता है उतनी से शुद्धता से गेंहू की पिसाई।

हर चीज शुद्ध रखते है,इस समय मिलावट से दूरी सभी ने बनाई।।

मिलावटी सामानों की बंदी से शुद्ध आहार हमेशा खाते पीते हर लोग।

काश ! छठ पर्व की तरह हम स्वच्छता रखते हर रोज।।

हर कानो को सुंदर छठ गीत सुनाई देती है।

मीठे प्यारे गीत से हर तरफ सूर्य उपासना होती है।।

अश्लील और फूहड़ गानों पर खुद से लग जाती है रोक।

काश ! छठ पर्व की तरह हम स्वच्छता रखते हर रोज।।

मन में शुद्ध विचारो का होता है आना – जाना।

शुद्धता के साथ उत्तम आचरण को इस पर्व में हमे है अपनाना।।

बुराई के छोड़ कर सभी पकड़ते अच्छाई की डोर।

काश ! छठ पर्व की तरह हम स्वच्छता रखते हर रोज।।

धीरज कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिलौटा भभुआ
जिला कैमूर

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version