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दीप पर्व – मनहरण घनाक्षरी

दीप पर्व – मनहरण घनाक्षरी

दीप पर्व अनुपम,
आया हरने को तम,
रहे नहीं कोई गम, दीप को जलाइए।
करें गणेश वंदन,
लक्ष्मी पूजन-अर्चन,
हर्षित हो तन-मन, नवगीत गाइए।
शुभता की यह बेला,
रहे न कोई अकेला,
बनकर लक्ष्मी चेला, धन-धान्य पाइए ।
राग- द्वेष मिटाकर,
भक्ति का बल पाकर,
अंत: दीप जलाकर, दिवाली मनाइए।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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