दुष्ट ,बेईमान व्यक्ति से
बचकर रहना मेरे भाय,
दूसरे का धन लूटकर
धनी आज कहलाय।
ऊपर से उजला दिखता
अंदर भरा है मैल,
छिपकली जैसे रंग बदलता
ऐसा खेलता वह खेल।
सबके सामने बोलता है
मिश्री जैसी बोली,
पिछे से छूरा मारता
और मारता गोली।
हरदम झूठ पर झूठ बोलता
साँच उसे न सुहाय,
निशदिन करता वह निंदा
अपने से बड़े लग जाय।
अपनों से जलता रहता
मन में रखता अभिमान,
बड़ों पर दोषारोपण करता
जैसे राक्षस और शैतान।
दूसरे के धन लूट, खाकर
बन गया वह धनवान,
उजला चेहरा पर करता
रहता वह अभिमान।
दूसरों के सामने झूठ बोलकर
अपने आप को लेता बचाय,
अपने आप को बचाने केलिए
दूसरों को देता फसाय।
ऊपर से जो अच्छा दिखता
अंदर से बड़ा कठोर,
नहीं अंदर में माया- ममता
जोड़ से बोले बज्र बोल।
ऐसे दुष्ट व्यक्तियों से
रहना सदा सावधान,
फूक- फूक कर कदम रखना
नहीं तो जा सकती तेरी जान।
ऐसे दुष्ट व्यक्तियों के लिए
नीरानी ईश्वर से माँगती वरदान,
दुष्ट व्यक्तियों को सुष्ट करना
ए मेरे भगवान।
नीतू रानी, स्वरचित कविता।
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड-बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।