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देवभाषा संस्कृत – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

देवभाषा संस्कृत

उन्नति हो नित देवभाषा की ,
हो तब नित जीवन की आस ।
प्रेम , सद्भाव , विश्वास जगत में ,
हो तब  हर  जन   के     पास ।।

यह  जीवन की भाषा है अमृत ,
यह   धन्य हमें नित  करती ।
मंत्र विद्या के शीर्ष चरण में ,
सबके मनोवांछित फल भी धरती ।।

इस भाषा की गहराई है
या इस भाषा की चतुराई ।
प्रेम यहाँ हर शब्द में मिलता ,
है इसकी महती प्रभुताई ।।

ज्ञानियों के लिए यह भाषा ,
सचमुच तप का बड़ा बल है ।
अध्ययन के लिए यह भाषा ,
विद्यार्थियों का बड़ा संबल है ।।

देवभाषा का जितना प्रचार प्रसार करें ,
उतना ही अधिक श्रेयस्कर है ।
स्वर्णिम ज्ञान रश्मि प्रस्फुटित होने में ,
यह अनुपम शुभ अवसर है ।।

प्रेम और ज्ञान दोनों से जुड़ता ,
संस्कृति का बड़ा उन्नायक ।
यह देवों की अमृत भाषा है ,
यह सचमुच अधिक शांतिदायक ।।

यह भाषा एक दूजे से जोड़े ,
जगत में महती ज्ञान कराए ।
यह सद्गुण और सद्विचार को ,
जगत में जन जन तक पहुँचाए ।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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