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धान की बुआई – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

मिलके लुगाई संग
धान की बुवाई करें,
फसल उगाने हेतु किसान लगाता जोर।

हल उठा काँधे पर
खेतों की जुताई हेतु,
चल देता बैलों संग देखो जब होता भोर।

रात दिन जागकर
रोज जल्दी भाग कर,
फसलों की निगरानी करता है पुरजोर।

बहा के पसीना खून
अन्न लाता खलिहान,
दरवाजे खड़ा दिखे महाजन महाजन-सूदखोर।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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