विश्व नर्स दिवस पर विशेष
रात दिन जाग कर ,
एक पैर भाग कर,
रोगियों की सेवा करें- बन देवदूत है।
करतीं वो निज कर्म,
समझ के सेवा धर्म,
इनका इरादा होता -नेक, मजबूत है।
कैसी आवे महामारी,
चाहे कोई हो लाचारी,
बिना परवाह किए, बन जाती बुत है।
शरीर से लाचारों को,
रोगी और बीमारों को,
देखभाल करने की-साहस अद्भुत है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
0 Likes