Site icon पद्यपंकज

नववधू- डॉक्टर प्रियंका दुबे

  Priyanka

नववधू
गतिशील सुंदर अभिव्यक्ति के साथ शैशवावस्था के पथ पर अग्रसर
स्वयं की खोज में,
चंचल चित की अधिकारी बन विचर रहीं वो ।
विचारों की सिंधु के गंभीर अंक में
चलते चलते जब थक कर उम्मीदों पर भरने लगी उड़ान ।
तभी मध्य आ गया परीक्षाओ का एक दृढ़ चट्टान।
जैसे तैसे सहाय हो धैर्य के संबल पर आगे बढ़ रही वो ,
नित नवीनतम आयामों से परिचय
भ्रमित कर रही धारणाओं को ,
जन्म और जन्म स्थान के विलगाव के इस मोड़ पर जहां हैं वो किंकर्तव्यविमूढ़ ।
वही औचित्य के पैमाने पर हर कोई
मापने को है आतुर।
सर्वगुणसंपन्न होने की उससे सबको आशा है प्रचुर।
वो रिक्तता जीवन की जिसे वो साथ लायी है माँ से विलगाव पर
ना जाने पूर्ण होगी किस अलाव पर???
आँखों में छुपी स्वप्निल झिलमिल अरमानों की देनी ना पड़े तिलांजलि ।
जीवन की बारीकियों को देखने की बोझ केवल ना पड़े उसके ही स्निग्ध स्कंधो पर।
विश्वास और स्नेह की अग्रिम याचना ही है,
कतार नयनों की है अभीष्ट कामना।

डॉ  प्रियंका दूबे,

मध्य विद्यालय फरदा,जमालपुर।

0 Likes
Spread the love
WhatsappTelegramFacebookTwitterInstagramLinkedin
Exit mobile version