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नारी का स्वरूप – लवली कुमारी

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नारी का स्वरूप

नारी तेरे कई रूप
शब्द में ही छिपा तेरा स्वरूप
आ की मात्रा का विशेष गौरव
आन, बान ,मान ,मर्यादा का प्रतीक
ई की मात्रा का विशेष सौरभ
घुंघट ,शर्म , लज्जा, हया, ममता का प्रतीक
नारी तेरे कई रूप
शब्द में हीं छिपा तेरा स्वरूप
तु ही दुर्गा ,तु ही काली
तु ही लक्ष्मी, तु ही सरस्वती
तु ही अन्नपूर्णा ,तु ही जग पाला
तु ही जया ,तु ही विजया
नारी तेरे कई रूप
शब्द में ही छिपा तेरा स्वरूप
तु ही आरंभ, तु ही अंत
तु ही अर्थ ,तु ही अनंत
तु ही प्रेम, तु ही प्रीत
तु ही गंगा, तु ही रीत
नारी तेरे कई रूप
शब्द में हीं छिपा तेरा स्वरूप
तेरे चिंतन में चंदन की चिंगारी
तेरे मनन में मोह की फुलवारी
तुझ में ही संस्कृति, तुझ में ही सभ्यता
तुम ही हो जगत की मान मर्यादा
नारी तेरे कई रूप
शब्द में हीं छिपा तेरा स्वरूप
फिर क्यों ले लेते
तुझ पर नकारात्मक विचार धारा
क्यों होती घरेलू हिंसा
क्यों नोंच डालते तुझे दरिंदा
सतयुग से कलयुग तक बार-बार
अपमानित किया तुझे
क्या तेरा अद्भुत स्वरूप
याद नहीं उसे
सजदा करो नारी का
जो वंश वृद्धि करती है
सम्मान करो नारी का
जो धरा को स्वर्ग बनाती है ।
सादगी, सरलता का तु शब्दकोश
नारी तुम कोमलता स्वरूपा हो ही कुछ विशेष
नारी तेरे कई रूप
शब्द में ही छिपा तेरा स्वरूप

लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनुपनगर
बारसोई कटिहार

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