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नौ रूपों में दुर्गा माता – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

नौ  रूपों  में  दुर्गा माता  की  पूजा,

परम पावन दुर्गा पूजा कहलाती है।

नौ  दिनों  के  निरंतर  तपश्चरण  से,

हृदय में अपार श्रद्धा उमड़ आती है ।।

प्रथम पूजा  होती   माता  शैलपुत्री की,

जो  पुत्री हैं  हिमालय पर्वतराज की।

भक्त श्रद्धा से  सदा  भजन  करते,

मैया के हर रूप  मनोहर राज की।।

द्वितीय रूप में  माता का पूजन होता,

ब्रह्मचारिणी  सत्य सनातन  रूप में।

हैं माता तप का आचरण करनेवाली,

भक्त करते भजन उस  स्वरूप में।।

तृतीय रूप में माता की पूजा होती ,

चंद्रघंटा के  मनमोहक  रूप   में।

वे  प्रिय  भक्तों  की झोली भरती हैं ,

नानाविध ज्ञान-विज्ञान स्वरूप में।

चतुर्थ रूप में माता कुष्मांडा का पूजन होता,

जिन्होंने  मंद मुस्कान से ब्रह्मांड  उत्पन्न  किया।

तिमिर  त्रैलोक्य  का  हरण कर  माता ने,

अपने  प्रिय  भक्तों को  अति  प्रसन्न किया।।

पंचम  रूप  स्कंदमाता  का,

होता पूजन विधि-विधान से।

भक्तों पर सदा कृपा बरसती है,

मैया  की कृपा  संधान  से।

षष्टम रूप में दुर्गा  पूजन होता ,

कात्यायनी  माता  के  रूप  में।

दनुज महिषासुर का अरिमर्दन कर,

मैया बन गईं  महाशक्ति  स्वरूप में।

सप्तम रूप में माता दुर्गा की पूजा ,

कालरात्रि माँ के रूप में  होती है।

इनका रूप अति भयंकर होता,

पर अंतर्मन से शुभ फल देती हैं।

अष्टम रूप  में  महागौरी  का पूजन कर,

प्रिय  भक्तगण  धन्य-धन्य  हो जाते हैं।

अपने हृदय में इन्हें  धारण  सुमिरन कर,

भक्त  माता  के  चरणों  में  खो  जाते  हैं।।

नवम रूप में माता दुर्गा की पूजा,

होती है  सिद्धिदात्री  के  रूप में।

अपने भक्तों की झोली भरती माँ,

अनिमा, महिमा, गरिमा  प्रतिरूप में।

अमरनाथ त्रिवेदी

पूर्व प्रधानाध्यापक

उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा

बंदरा, मुजफ्फरपुर

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