🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏
मनहरण घनाक्षरी
पर्यावरण दिवस(ठान लिया मन है)
बढ़ रहा तापमान,
धरा सहे अपमान,
सांसे ले ठहर कर,प्राण वायु कम है।
अरण्य सिमट रहा,
घोंसला उजड़ रहा,
रेतों का अम्बार लगा,चहुंओर तम है।
कितना तपिश सहे,
वृक्षों की डालियाँ कहे,
देखो चक्षुओं को खोल,घूम रहा यम है।
गाँव से शहर बना,
सूखी है प्रकृति का तना,
वादा वृक्षारोपण का,ठान लिया मन है।
एस.के.पूनम।
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