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पावन तीर्थ नगरी काशी – अपराजिता कुमारी

Aprajita

धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्‍कृतिक

प्राचीन मोक्षदायिनी सप्‍तपुरियों

में एक लोक विश्व विख्‍यात

बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक

बाबा विश्वनाथ की अति प्रिय

प्राचीनतम जीवंत नगरी काशी।

शिव प्रिय,शिव नित्‍य विहार स्‍थली

ब्रह्मा अध्‍यासित, ब्रह्मा सदा सेवित

ब्रह्मा रक्षित, मोक्षदायिनी अविमुक्‍त

रुद्रवास भक्ति, मुक्ति, ध्यान केंद्र

परम पावन तीर्थ नगरी काशी।

महाश्‍मशान, आनंदवन, शिवपुरी

वाराणसी, विश्‍वनाथ, कपालमोचनी

मंदिरों का, ज्ञान एवं दीपों का शहर

भस्मनिष्ठ, एकांतवासी, अघोरी प्रिय

जहांँ कण-कण में शिव वह तीर्थ काशी।

सिद्धेश्वर, वृषभेश्वर, दधीचेश्वर

मधुकैटभेश्वर, बालकेश्वर, विवरेश्वर

देवेश्वर, वेदेश्वर, संगमेश्वर

संगमेश्वर,प्रयागेश्वर,कुंभीश्वर आदि

असंख्य स्वयंभू शिवलिंग युक्त काशी।

अस्सी घाट, ललिता घाट, सिंधिया घाट

तुलसी घाट, हरिश्चन्द्र घाट, मुंशी घाट

जैन घाट, अहिल्याबाई घाट, केदार घाट

प्रयाग घाट, चेतसिंह घाट, दशाश्वमेध घाट

नारद घाट, साधु-संत तपस्या स्थली काशी।

प्राचीनता, पुरातनता सहेजे

आधुनिकता रंग में रँगी

नवीनता आत्मसात करती

काशी घाटों पर सांध्य आरती, दीपमालााएँ

अंधकार में रोशनी की धार बहाती काशी।

कृपानिधि, शिवाप्रिय, नीलकंठ

भक्तवत्सल, आशुतोष, शशिशेखर

सर्वज्ञ, सदाशिव, विश्वेश्वर, रुद्रप्रिया

पतित पावनी भागीरथी गंगा तट पर

धनुषाकारी बसी, पापनाशिनी काशी

अपराजिता कुमारी
पटना,बिहार

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