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पुस्तकें – रत्ना प्रिया

जीवन की आधार पुस्तकें, ज्ञान की भंडार पुस्तकें,
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” की, भरती है संस्कार पुस्तकें ।

जग को राह दिखानेवाली, ध्येय पथ ले जानेवाली,
दुःख-संकट में पड़े मनुज की, सत्साहस बढ़ाने वाली,
अच्छी व सच्ची मित्र कहाती, झूठ-सच का भेद बताती,
अज्ञानी को ज्ञान है देती, भटकों को सुपथ दिखलाती,
जब कुंद पड़ी मानव बुद्धि तो, करती हैं प्रहार पुस्तकें,
“तमसो मा ज्योर्तिगमय” की, भरती है संस्कार पुस्तकें।

दर्शन, वेद, पुराण की वाणी, संस्कृति की अमिट निशानी,
महाकाव्य व गीता जग में, परमसत्ता की अमृतवाणी,
ज्योतिषग्रंथ, हस्तरेखाएँ, त्रिकाल का रहस्य बताएँ,
विभिन्न शोध हैं जग में होते, नूतनज्ञान समृद्ध बनाएँ,
संगीत, कला की सृजनकर्त्ता, वाङ्गमय अपार पुस्तकें,
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” की, भरती है संस्कार पुस्तकें।

भाषाएँ, आधार व्याकरण, हर भाषा का मर्म कहाती,
ध्वनि, लिपि, रस, अलंकार से, साहित्य का सुमन खिलाती,
हों लेखक, विज्ञ, विज्ञानी-ज्ञानी, विद्या के सच्चे अधिकारी,
विधि-विधान व सद्ग्रंथों के, सच्चे अर्थों में उपकारी,
वृहद्-ज्ञान विस्तृत रूपों में, विद्या की है सार पुस्तकें,
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” की, भरती है संस्कार पुस्तकें।

रत्ना प्रिया
शिक्षिका (11-12)
उच्च माध्यमिक विद्यालय माधोपुर
चंडी , नालंदा

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