सबसे प्यारा गाँव हमारा,
अद्भुत सुंदर न्यारा है।
चलो तुम्हें हम आज दिखाएँ,
उर का भाव हमारा है।।
होती अनुपम मृदा गाँव की,
सत्य सभी ने जाना है।
खान गुणों की होती अनुपम,
मन से सबने माना है।
चंदन माटी तिलक लगाओ,
कहता ये जग सारा है।
सबसे प्यारा— —- न्यारा है।
नीर कूप का शीतल देखो,
कितना ठंढा मीठा है।
पीपल, बरगद है सुखदायक
दिखे कहीं पर रीठा है।।
तुलसी पौधा नीम लगाना,
यह तो परम सहारा है।
सबसे प्यारा—— न्यारा है।
होली झूमर लगते प्यारे,
इनकी शान निराली है।
प्रेम-भाव से मिलकर गाते,
पुरवाई मतवाली है।।
भाव यही अंतर्मन उमड़े,
कहे दिव्य उजियारा है।
सबसे प्यारा—— न्यारा है।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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