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प्रगति तुम बढ़े चलो – सुरेश कुमार गौरव

प्रगति तुम बढ़े चलो, नयन स्वप्न गढ़े चलो,
अंधेरे हटा के तुम, नयी भोर गढ़े चलो।
धरा से गगन तलक, पताका चढ़े चलो,
प्रगति तुम बढ़े चलो, प्रगति तुम गढ़े चलो।

बड़े लक्ष्य हों अगर, कठिन राह क्या भला,
जला लो दृढ़ निश्चय, न कोई डरे चला।
हृदय में विश्वास हो, दृष्टि में हो दृढ़ बल,
विघ्न चाहे जितने हों, न रुकना एक भी पल।

सृजन की कहानी में, हो दीप जैसे तुम,
न हो मायूसी कभी, उम्मीद जैसे तुम।
धरा भी करेगी नमन्, गगन भी झुकेगा,
विकास का रथ लिए, नव युग संकल्प सजेगा।

हर कदम पर गर्जना, हर चरण में जयघोष,
कर्म-पथ के योद्धा बनो, हो न कोई क्लेश-दोष।
रुको मत थको नहीं, है समय की पुकार,
प्रगति का हो श्रृंगार, सजे देश और संसार।

प्रगति तुम बढ़े चलो, सपन संजोए चलो,
श्रम से सजी धरा, स्वर्ग से भी हो भलो।
हर मन में जले उमंग, हर पथ बने सरल,
प्रगति तुम बढ़े चलो, प्रगति तुम गढ़े चलो।

@सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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