वो जैवप्रक्रिया जिसमें हो
अपने जैसे जीवों का सृजन,
जंतुओं में या पौधों में हो,
कहलाता है बच्चो प्रजनन।
खंडन, विखंडन, स्पोर, मुकुलन,
पुनर्जनन और कायिक प्रवर्धन,
बिना जनन कोशिकाओं के रचन,
जनन कहलाते अलैंगिक जनन।
अगुणित युग्मकों का सृजन,
जो करते हों आपस में संलयन,
बनाते युग्मनज कर के निषेचन,
वैसे जनन कहलाते लैंगिक जनन।
कहीं पुंकेसर स्त्रीकेसर निःसंग,
कहीं एक फूल में दोनों संलग्न,
फूल ही होते पादप जनन अंग,
परिपक्व होकर करते प्रजनन।
परागकणों का परागकोष से,
वर्तिकाग्र पर जाना है परागण,
होकर वर्तिका से अंडाशय में,
होता है पराग का आगमन।
हवा और बारिश के संग,
करने पराग का स्थानांतरण,
कीट, पतंग, पक्षी, मानव को,
देते रस-रंग-रूप से आमंत्रण।
बीजाणु संग अंडकोशिका,
करते हैं बीजों को उत्पन्न,
अंडाशय है फल बन जाता ,
देने जीवों को भरपूर पोषण।
होता ऐसे प्रजनन पौधों में,
करना पढ़ कर थोड़ा चिंतन।
दल और बाह्यदल के गुच्छे,
गिरते अपनों से कर विलगन।
मौलिक एवम स्वरचित
ओम प्रकाश
उच्च मा०वि०दीननगर पुरैनी, जगदीशपुर, भागलपुर