जलहरण घनाक्षरी
(प्रभु को अभिनंदन)
विमल सकल काज,
अवध नृप के राज,
अयोध्या में बजे साज,करें हर्ष से वंदन।
स्वागत में खड़े भ्राता,
मधुर उल्लास पाता,
वसुंधरा पर दाता,लगे तिलक चंदन।
सेवक हैं हनुमान,
भक्ति पर अभिमान,
सम्पूर्ण है अभियान,श्री चरणों में नंदन।
बालरूप माता संग,
रचे प्रीत अंग-अंग,
जीत लिए हर जंग,प्रभु को अभिनंदन।
एस.के.पूनम
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