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प्रेम उपहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra Prasad Ravi

प्रेम उपहार
बाल भावना को स्पर्श करती रचना
(मनहरण घनाक्षरी छंद में)

नाजुक- कोमल कली,
बागानों में जैसे माली,
करे खूब देखभाल,बच्चे होते फूल से।

कभी नहीं करें रोस,
यदि कोई देखें दोष,
विकास है रुक जाता,गम रुपी धूल से।

दूर होंगे नहीं खोट,
दिल पे लगेगी चोट,
पूरी तरह मुर्झाते, कटते हीं मूल से।

समझाएं प्यार दे के,
प्रेम उपहार दे के,
ठेस नहीं लगे कभी ,भावना को भूल से।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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