मनहरण घनाक्षरी छंद
सबकी बनाए भाल
चौबीस का नया साल,
साथियों के लिए लाए, खुशियां अपार है।
आप सभी छोटे बड़े
रहते हैं साथ खड़े,
आपकी दुआएं हमें, दिल से स्वीकार है।
आपने जो प्यार दिया
प्रेम उपहार दिया,
जीवन भर कर्ज़ ये, रहेगा उधार है।
जितने हैं इष्ट मित्र
दिल में बसा है चित्र,
आपके स्नेह खातिर, सबका आभार है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
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