बच्चों तुम अपनी शरारतें बचा लेना,
छोटी-छोटी बातों पर रूठना
फिर पल में मान जाना
और दिल खोल मुस्कुरा लेना।
वो किसी को रोते देख रोना,
किसी के खुशी में खुश होना,
किसी की उलझनों से परेशान होना,
मिलजुलकर उलझनों को सुलझा लेना।
बच्चों तुम अपनी मासूमियत बचा लेना,
अपने पराए का हर भेद भूल जाना,
अमीरी-गरीबी का फर्क मिटाना,
जाति धर्म के झगड़ों से दूर भाईचारा सीखा जाना।
जीत का तुम दिल से जश्न मनाना,
हार को भी दिल से अपना लेना,
हर हार से तुम एक नई सीख लेकर,
जिंदगी की नई राह पर कदम बढ़ा लेना।
बच्चों तुम अपनी सरलता बचा लेना,
स्वार्थ की अंधी दीवारें,
बढ़ न सके कभी तुम्हारे सहारे,
जीवन को सादगी से अपना लेना।
रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
तेनुआ, सीवान
0 Likes