वीर बहादुर जन्मा देश में,
जीता था वह श्वेत वेश में।
सीधा सादा बिताते जीवन,
भूला नहीं करते अपनापन।
रंग रूप का भेद न उनमें,
प्यार वह बाँटा करते जग में।
२ अक्टूबर को जन्मे लाल,
ओज तेजस्वी उनके भाल।
रखा वह सारा जग का मान,
थे गाँधी के चौथी पत्नी की संतान।
शोहरत में लिपटी शौकत व शान,
पिता थे रियासत के एक दीवान।
ठहरे बंधुत्व में सबसे खास,
पिता थे उनके मोहन दास।
थी धर्मालीन माता उनकी अनुयायी,
नाम था जिनकी पुतलीबाई।
वर्ष १३ में व्याह रचाया,
साध्वी संस्कारी कस्तूरबा को अपनाया।
प्रारंभिक शिक्षा गाँव के धूल में पाकर,
उच्च शिक्षा विदेशों में जाकर।
देश विदेश में परचम लहराया,
अहिंसा परमो धर्म: को अपनाया।
जिस देश से की आजादी की शुरू लड़ाई,
मरणोपरांत सम्मान डाक टिकट वह पाई।
क्या अजब नाम का था दस्तूर,
बा का प्यारा मोनिया और कस्तूर।
इनके जन्में पुत्र चारों कृपाल,
देवदास, रामदास, मणिलाल और हरिलाल।
प्रथम पुत्र के मृत्यु शोक संताप सताई,
अपने पति से चार साल पूर्व मृत्यु को पाई।
एकता ही सर्वस्व शक्ति और साथ है जोड़ो,
किया नेतृत्व अनेक आंदोलन और भारत छोड़ो।
१९४२ को दिया एक हुंकार जो प्यारा,
की शुरुआत आंदोलन दी “करो या मरो” का नारा।
देश की आजादी सत्य अहिंसा सूत्र स्वीकारा,
राजवैद्य जीवनराम कालिदास “बापू” कहकर पुकारा।
थे सुभाष चन्द्र उनके प्रेम समर्पण की आदि,
१९४४ में सिंगापुर रेडियो से राष्ट्रपिता की दी उपाधि।
३० जनवरी १९४८ को वह खुद से हारा,
था जिसका नाथूराम गोडसे हत्यारा।
भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ, पूर्णिया, बिहार