बेटी पढाईला से कछु नय बिगरतै
हे बाबूजी तोहर पगड़ी नय गिरतै।
बेटी और बेटा में भेद नय करिहो,
दोनो के साथे-साथ पढाईहो लिखाइहो,
बेटी पढाईला से इज्जत नय घटतै,
हे बाबूजी तोहर पगड़ी नय गिरतै।
हमरो से शान तोहर हमरो से मान हो ,
बेटी भी अब होय छै बाप के अभिमान हो,
खाली चूल्हा फुकवय ला से कुछ नय होय छै
बेटी पढाईला से इज्जत नय घटतै,
हे बाबूजी तोहर पगड़ी नय गिरतै।
आंख खोल के देखो बाबू बदलल जमनबा,
आजकल के बेटी भी छुये आसमनवा,
बेटी जे पढ़ताये त इज्जत ही बढ़तै,
बेटी पढाईला से इज्जत नय घटतै
हे बाबूजी तोहर पगड़ी नय गिरतै।।
पामिता कुमारी
शिक्षिका
कन्या मध्य विद्यालय शाहकुण्ड
भागलपुर
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