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बाल- विवाह- पामिता कुमारी

Pamita

कथी ला कैलहो बियाह हमर पक्का
उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा,
उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा।।
ससुरा में हमरा से चूल्हा फुकबैतै,
छोट-छोट बतिया पर गारी सुनैतै,
छोटी उमरिया में होय जैतय छोट लइका,
उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा।
हमरा बियाह में जे देभो दहेजबा,
घर बेचभो ,खेत बेचभो,बेचभो ख़लीहनवा,
करो कुतमयती से लेभो करजवा,
दान दहेजो में होतय बरी लफड़ा,
हमरा विदाई में काट जैतय करेजवा,
उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा।
हमरा पढयभो जे हमरा बढयभो,
कालेज में हमर जे नमबा लिखय भो
नाम तोहर रौशन करबय बन के डाक्टरवा,
तोरा घुमय ल ख़रीदब चार चक्कबा,
उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा।
पामिता कुमारी (शिक्षिका)
कन्या मध्य विद्यालय ,शाहकुण्ड
भागलपुर

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