बेटी है वरदान,
करें न इनका अपमान,
बेटी होती सबसे खास,
छीना जाता क्यूं इनकी सांस,
कुदरत का अनमोल रतन,
जीवन देने का करो जतन,
दुनियां की दौलत उसने पाई,
जिसके घर बेटी है आई,
घर की रौनक होती बेटी,
हर बगिया महकाती बेटी,
मान सम्मान दिलाती बेटी,
त्याग और बलिदान की मूरत होती,
मुश्किल घड़ी में साथ निभाती,
कभी नहीं वो घबड़ाती,
चंचलता से वो भरी पड़ी,
विकट पल में भी रहती खड़ी,
लक्ष्मी का वो होती रूप,
समय देख हो जाती चुप,
21 वीं सदी की नई सोंच,
बेटा बेटी में न कोई खोंच,
बेटा-बेटी जब एक समान,
क्यूं न करें इनपर अभिमान,
इनके पक्के इरादे का जोड़ नहीं,
हिला दे इन्हें ऐसा कोई तोड़ नहीं,
बेटी ही मान, बेटी ही सम्मान,
बेटी है कुदरत का अनूठा वरदान।।
विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर
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