🙏कृष्णाय नमः🙏
विद्या:-मनहरण घनाक्षरी
🌹कविता सुनाइके🌹
काव्य पथ पर चला,
शब्द जोड़-जोड़ कर,
प्रेम गीता लिख दिया,शब्दों को सजाइके।
विचारों में डूब कर,
तूलिका पकड़ कर,
थमा नहीं रुका नहीं,भावों को जगाइके।
दिवा-निशा बीत रहे,
जोश-होश खोते रहे,
गुरु का वरद मिले,तब मुस्कुराइके।
कविता को कवि लिखे,
मन को लेखनी छले,
आँसुओं से स्याही बने,कविता सुनाइके।
एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।
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