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मनहरण घनाक्षरी-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

Jainendra

पक्षियों ने पंख खोला,उड़ने से डाल डोला,
सुगंधित मंद-मंद ,
बहता पवन है।

सरसों के फूल खिले, खेत दिखे पीले-पीले,
चारों ओर हरियाली,
खिलता चमन है।

दिन देखो ढल गया, स्वेटर निकल गया,
सूरज की लाली पा के,
हंसता गगन है।

हो गई सुहानी शाम, घर लौटें छोड़ काम,
हाथ जोड़ ‘रवि’ कहे,
सभी को नमन है।

जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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