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मनहरण घनाक्षरी- विनय कुमार ‘ओज’

Vinay

राम नाम की है धुन,
रम जाओ हम-तुम।
रामनवमी में आज़,
घर-घर गान है।।

ध्वजा घर-घर से,
हैं गगन को छु रहें।
जुड़े तार राम से जो ,
मध्य हनुमान हैं।।

हम राम के हैं और,
राम ही हमारे रहें।
वंश बेल राम के हैं ,
मूल हिंदुस्थान है।।

भूले भटके को राम,
हैं रस्ते पे लाते सदा।
मानेंगे वो एक दिन,
मेरे भगवान है।।

विनय कुमार ‘ओज’

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