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माँ-जीवन की ममता मूरत -सुरेश कुमार गौरव

Suresh-kumar-gaurav

माँ-जीवन की ममता मूरत

 

 

तेरी दुआओं की छाया में पलते,

जीवन के काँटे भी फूलों सा छलते।

तेरी ही ममता है साँसों में बहती,

हर दर्द में भी तेरी छवि है रहती।

 

माँ, तू धूप में छांवों सी लगती,

जैसे अंधेरों में दीपक सी जगती।

तेरे बिना सूनी हर एक कहानी,

तू ही तो जीवन की सच्ची रवानी।

 

तूने सिखाया था चलना संभलना,

गिरते हुए भी न रोना, न रुकना।

तेरे चरणों में स्वर्ग का प्याला,

तेरे बिना तो कुछ नहीं निराला।

 

तेरी लोरी में गूँजे स्वर सुरमय,

तेरी गोद बने मंदिर सा पवित्रमय।

जब भी मैं टूटा, तूने सँवारा,

हर दर्द में तूने खुद से उबारा।

 

माँ, तेरे आँचल की शीतल घटा से,

जीवन में मिलती दिशा और रास्ते।

तेरे बिना सब अधूरा है लगता,

तू है तो मेरा हर क्षण सुखद बनता।

 

@सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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