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माँ – रूचिका

Ruchika

जीवन की कड़ी धूप में शीतलता का एहसास,
माँ हर रिश्तों से है जुदा बेहद हीं खास,
माँ जीवन की आपाधापी में एक नरम ठाँव,
माँ से ही जुड़ी है जीवन की हर प्यारी आस।

माँ हर विपदा में बनती है सदा ही ढाल,
सहनशक्ति देखो उसकी है कितनी कमाल,
स्नेह और ममता लुटाती है भरपूर वह,
चाहे स्वयं हीं वह रहे किसी भी हाल।

अमृत सदृश लगता है माँ के हाथों से निवाला,
माँ ही पूजा ,माँ ही जन्नत ,माँ ही है शिवाला,
माँ से बढ़कर न कोई इस जग में
माँ ने ही हर मुसीबत को हम पर से टाला।

माँ ही हैं हमारी सबसे अंतरंग सहेली,
जो सुलझाती जीवन की हर कठिन पहेली,
माँ हर कठिन प्रश्न का बन जाती हल है,
नहीं रहने देती कभी बच्चों को अकेली।

माँ ही है हमारे जीवन की नेकियों की कमाई,
माँ के बिना खुशियाँ नहीं देती है दिखाई,
माँ मार्गदर्शक बन सही राह दिखलाती,
माँ के होने से जीवन में कभी कमी नहीं आई।

रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ गुठनी सिवान बिहार

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