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माँ सम्पूर्ण ब्रह्म -स्नेहलता द्विवेदी “आर्या

Snehlata

माँ!
शब्द नही ब्रह्म!
संतति का सर्वस्व!
निर्मल मोहक सौंदर्य!

माँ!
अद्भुत आनंद!
धरा का स्वर्ग।
सृष्टि में अतुल्य!

माँ!
सहती पीड़ा अनंत!
मुस्कराते हुये,
संतति के लिए!
साहस अदम्य!

माँ!
निश्छल, निर्विकार!
निःस्वार्थ प्रेम!
सर्वथा प्रणम्य!

स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार

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