🙏कृष्णाय नमः🙏
विद्या:-मनहरण घनाक्षरी
निशाकर सोच रहे,
यामिनी से वह कहे,
कर ले अँखियाँ बंद,दस्तक है भोर का।
मयूख है अंबरांत,
जगत है अभी शांत,
जाग गए नभचर,गुंजन है शोर का।
खाली-खाली अब नीड़,
पनघट पर भीड़,
फूटती है गगरिया,प्रहार है जोर का।
कलित राधिका छवि,
फीका पड़ गया रवि,
कृष्ण शीश पर सोहे,मुकुट है मोर का ।
एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।
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