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यही रात अंतिम, यही रात भारी- नीतू रानी

Nitu

यही रात अंतिम, यही रात भारी
विषय -पक्षियों की गोष्ठी।


बकरी, मुर्गी,अंडा , मछली और कबूतर
ये सभी हैं मीत,
रखें आज रक्षाबंधन दिन गोष्ठी
और गा रहे हैं गीत।

यही रात अंतिम यही रात भारी
कल से शुरू करेंगे लोग हम सबको
खाने की तैयारी,
ये सावन की रात अंतिम यही रात भारी।

कितने खुश थे सावन आया
बहुत कम हीं लोग हम सबको खाया,
कल से घुसेगा भादो महीना
लोग हमसबको मारकर खाएगा थाली -थाली
यही रात अंतिम यही रात भारी।

ग्यारह महीने दुखी के महीने
सावन महीने खुशी के महीने,
बस यही महीने हम सबके लिए लाती है खुशियाली
यही रात अंतिम यही रात भारी।

ग्यारह महीने तक मरते -डरते
सावन में कम मरते और हँसते, जो हम सबको खाता है मारकर
अब मरने की उसकी भी आएगी बारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।


नीतू रानी (विशिष्ट शिक्षिका)
स्कूल -रहमत नगर सदर मुख्यालय पूर्णियाँ।

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