Site icon पद्यपंकज

योग – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

देह का मन से मिलन करिए।
प्रभु से नाता मन से जोड़ें।
धैर्य नियम को प्रतिदिन धरिए
ध्यान आसन की छाप छोड़ें।।

योग जीवन सुंदर आयाम
कर्म-कुशलता करते रहिए।
गात कांतिमय करे अभिराम
धर्म मार्ग से कभी न हटिए।।

योग कर्म जिसने अपनाए
काया को मजबूत बनाता ।
अद्भुत सौम्य परम सुख पाए
सुखद आनंद मधुमय पाता।।

योग-क्षेम का भाव जगाएँ।
घर का अभिनव मित्र बनाएँ।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version