Site icon पद्यपंकज

रक्षा -बंधन

1000650492.jpg

रक्षा- बंधन

जाते-जाते सावन ने भाइयों को पास बुलाया है,
बहनों ने भी नेह प्रेम से रक्षा -सूत्र बनाया है।
माँ के आँचल में पलते ये दोनों पुष्प दुलारे हैं,
भईया -बहना,बहना भईया साथ-साथ दिल हारे हैं।

एक ही आँगन है इन सबका, एक ही बाग-बगीचा है,
स्नेह प्रेम से भवरों का धुन और तितली का डेरा है।
शपथ प्रेम का और रक्षा का दोनो ने ही खाया है,
इस बगिया को व गुलशन को सुंदर सुभग बनाया है।
जाते-जाते सावन ने भाइयों को पास बुलाया है …..

रक्षा बंधन की गरिमा को चार चाँद लगाया है,
देश प्रेम और राष्ट्र शक्ति को और बलिष्ट बनाया है।
रक्षा करने का यह वचन भाइयों ने निरत निभाया है,
बहनों ने भी आशीष से भाइयों का मान बढ़ाया है।
जाते-जाते सावन ने भाइयों को पास बुलाया है,
बहनों ने भी नेह प्रेम से रक्षा- सूत्र बनाया है।

डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

0 Likes

Dr. Snehlata Dwivedi

Spread the love
Exit mobile version