रचना की आधार हूं
हर सुन्दर रचना की आधार हूं
सृष्टि के गति की अहम किरदार हूं,
धरती में दबे बीज की वास हूं
कोंपल के स्पंदन की आहार हूं।
जगत के आकर्षण की राज हूं
भिन्न भिन्न रूपों में अलग अंदाज हूं
शिव की पार्वती राम की सीता
विष्णु की लक्ष्मी कामदेव की रति हूं।
ऊँ शब्द ध्वनि की नाद हूं
दुर्गा की शक्ति की हुंकार हूं,
कवि मन के भावों की धार हूं
मां के रूप में ममता की छांव हूं।
धैर्य, त्याग, सहनशीलता की मूरत हूं
बहन, बेटी, पत्नी की भिन्न सूरत हूं
परिवार को जोड़ने वाली कड़ी हूं
बेटी रूपी हार की मैं लडीं हूं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
कुमारी निरुपमा
मध्य विद्यालय भरौल बछवाडा
बेगूसराय बिहार
0 Likes