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राम कथा-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

चौपाई (राम कथा)Kumkum

कमल नयन हरि के अवतारे।
त्रेतायुग में अवध पधारे।।
सुंदर सुकोमल रूप न्यारा।
देख हुआ पावन जग सारा।।

अपने संग अनुज को लाए।
नृप दशरथ के मान बढ़ाए।।
कौशल्या नयनों का तारा।
दशरथ नंदन राजदुलारा।।

सभी रानियाँ अति हरसायीं।
राजमहल में खुशियाँ छायीं।।
सभी देखने उनको आए।
लखकर अपने नयन जुड़ाये।।

राजा दशरथ विप्र बुलाए।
सुकुमारों का नाम धराए।।
राम,भरत, लक्ष्मण अति भाए।
अनुज भ्रात शत्रुघ्न कहाये।।

पाँवन घुँघरू रुनझुन बाजे।
घुँघरल बाल अंग पर साजे।।
रूप मनोहर है अति प्यारा।
बना हुआ नयनों का तारा।।

तीनों अनुज सहित रघुराई।
करने आये वेद पढ़ाई।।
गुरु वशिष्ठ के गुरुकुलआये।
अल्पकाल विद्या सब पाये।।

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

शिक्षिका

मध्य विद्यालय, बाँक जमालपुर
योगनगरी मुंगेर, बिहार

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