रक्त से लिखी गई गाथा जिनकी,
बल-बलिदान अहिंसा बने आदर्श।
राष्ट्र के प्रति सहज विश्वास के प्रतीक
उस श्रद्धा समर्पित राष्ट्रनेता को,
वन्दन है बारंबार।
जिनके पाथेय, आदर्श सुना पढाए जाते,
नन्हे सुतों को विजय के दिव्य अनुपम ज्ञान।
छुआ जिसने आसमान की बुलंदी को,
जिससे गौरवान्वित है जमीं आसमान।
उस श्रद्धा समर्पित राष्ट्र नेता को,
वन्दन है बारंबार।
राष्ट्र खोने नहीं देगा ऐसे अद्भुत संतों को,
जिसने दे दी हमें आजादी बिना,
खड्ग, बिना ढाल।
ऐसे महान प्रणेता, राष्ट्र नेता को,
वन्दन है बारंबार।
आओ हम सब अर्पित करें श्रद्धांजलि सुमन
और लें ये सत-संकल्प,राष्ट्र की रक्षा,
अहिंसा परोपकार हीं धर्म हो।
सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाए हीं सतकर्म हो।
हिन्दुस्तान के स्वर्णिम इतिहास में,
हमारी भी अपनी एक पहचान हो।
हमारे भी वन्दन बारंबार हो।
रचनाकार :अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना, बिहार