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रुपघनाक्षरी – एस.के.पूनम

S K punam

सरयू के तट पर,
सीताराम बैठ कर,
मांझी की प्रतीक्षा कर,भक्तों का बढ़ाये मान।

थाल में निर्मल जल,
दृगों से गिरते आँसू,
प्रभु के चरण धुले,मिले सेवा का प्रमाण।

दीन-हीन पर कृपा,
करते सदैव नाथ,
अनुराग में तल्लीन,करते हैं गुनगान।

अद्वेष सुमति मेल,
हृदय भावनमय,
धरती गगन पर,विराजते भगवान।

एस.के.पूनम(पटना)

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