सरयू के तट पर,
सीताराम बैठ कर,
मांझी की प्रतीक्षा कर,भक्तों का बढ़ाये मान।
थाल में निर्मल जल,
दृगों से गिरते आँसू,
प्रभु के चरण धुले,मिले सेवा का प्रमाण।
दीन-हीन पर कृपा,
करते सदैव नाथ,
अनुराग में तल्लीन,करते हैं गुनगान।
अद्वेष सुमति मेल,
हृदय भावनमय,
धरती गगन पर,विराजते भगवान।
एस.के.पूनम(पटना)
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