गरजे बरसे मेघ,
गगन वितान सेंघ,
टप टप करे शोर,रात जाग होए भोर।
आलस्य का जकड़न,
अंग-अंग अकड़न,
मंदिरों में शंखनाद,स्नान ध्यान पर जोर।
प्राची दिशा है लालिमा,
पश्चिम में है कालिमा,
खेल खेले कुदरत,पता चले नहीं छोर।
प्रखर किरण रवि,
प्रेम सुधा पीते कवि,
पर दोनों देते राह,बने नहीं कोई चोर।
एस.के.पूनम(पटना)
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