रोग का निदान!
आइए हवा भरे।
संग-संग में चरे।।
भागते विहान में।
शांत आसमान में।।
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स्वेद पूर्ण देह से।
मित्र के सु-नेह से।।
रोम प्राणवान है।
रोग का निदान है।।
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क्यों न कथ्य मान लें।
सत्य तथ्य जान लें।।
ब्रह्मचर्य ठान लें।
वेद शास्त्र ज्ञान लें।।
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विचारणीय
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दुःख है यहाॅं यही।
कौन आज है सही।।
सो रहा मकान है।
हो रहा विहान है।।
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रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
सुप्रभात ओम नमः शिवाय
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