वर्षा आई, वर्षा आई
जीवन में खुशहाली लाई।
टिप-टिप,टिप-टिप बरसा पानी,
चली हवा जैसे मस्तानी।।
नदी, तालाब, खेत और पोखर,
भर गया है सब में पानी।
धरती पर हरियाली छाई,
वर्षा आई, वर्षा आई।।
नभ में बादल नाच रहे हैं,
पानी पानी बाँच रहे हैं।
कहाँ कहाँ पर बरसा पानी,
घूम-घूम के जॉंच रहे हैं।।
बिजली ने आँखे चमकाई,
वर्षा आई, वर्षा आई।।
सूरज दादा छुप गए हैं,
तारे भी अब रुठ गए हैं।
बागों में हैं रंग-बिरंगे,
फूल सुंदर खिल गए हैं।
नई उमंगें सब में आई ,
वर्षा आई, वर्षा आई।।
गुडिया कुमारी
मध्य विद्यालय, बांक,
जमालपुर, मुंगेर
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