कविता :- वर्षा रानी
वर्षा रानी , वर्षा रानी,
तुम हो नटखट बड़ी सयानी ।
कहाँ – कहाँ से तुम लातीं,
ढेर – ढेर सा पानी ।
सूखी – प्यासी धरती की,
तुम ही हो जिंदगानी ।
खेतों – खलिहानों में लाती,
तुम भरपूर जवानी ।
वर्षा रानी , वर्षा रानी ,
तुम हो नटखट बड़ी सयानी ।
तुम्हें जन्म देने वाले,
नभ में रहते काले बादल ।
स्याह – स्लेटी – नीला – पीला,
फैलाते हैं आँचल ।
ताल – तलैया भर जातीं,
तुम जो लातीं पानी।
रिमझिम – रिमझिम बूँदों से,
तुम करतीं बौछार ।
दादुर – मोर – पपीहा सब,
तुमसे करते प्यार ।
तुम जग को जीवन देतीं,
खुद करके कुर्बानी ।
वर्षा रानी , वर्षा रानी,
तुम हो नटखट बड़ी सयानी ।
आशीष अम्बर
विशिष्ट शिक्षक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
प्रखंड – केवटी
जिला – दरभंगा
बिहार
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