🙏कृष्णाय नमः🙏
विधा:-रूपघनाक्षरी
(विजयादशमी राज)
दस दिन श्रमदान,
चहुँओर मिला मान,
सम्मान का अधिकार,पाकर करता नाज।
सत्ता पाने का संघर्ष,
रावण का घुला हर्ष,
अस्त-व्यस्त छिन्न भाव,भूल गया मूल काज।
विजयी का सिलसिला,
रोकने से रुका नहीं,
भीषण संग्राम कर,असुरों से मुक्त आज।
सब कुछ पाकर भी,
सोया नहीं जिसने भी,
आत्मसात जागृति की,विजयादशमी राज।
एस.के.पूनम
0 Likes