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विधाता छंद- एस. के. पूनम

 

कहे गोविंद श्यामा से,

मिलूँगा मैं अकेले में।

कही राधा अनंता से,

पडूँगी ना झमेले में।

सदा से ही सखी वृंदा,

अजन्मा की दिवानी है।

नयन भींगे हृदय बिंधे,

अनादिह की कहानी है।

रची लीला कन्हैया ने,

इशारों से भुवन जागा।

सहारा है कनकधारा,

किरण से ही तमस भागा।

दुलारे हैं यशोदा के,

अपलक उसे निहारी हैं।

अधर पर बाँसुरी सोहे,

वही बाँके बिहारी हैं।

करूँगी प्रेम की बातें,

निकट मेरे चले आओ।

दिखाओ मोहनी सूरत,

किशोरी का प्रणय पाओ।

रचाई रास मधुवन में,

बजे बंसी कन्हैया की।

रहूँ उर में यशोदा के,

पखारूँ चरण मैया की।

एस. के. पूनम

प्रा. वि. बेलदारी टोला, फुलवारीशरीफ

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