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विधाता छंद – एस. के. पूनम

दरस देतीं प्रथम माता,

कहाँ हो तुम चली आतीं।

क्षुधा प्यासा ललन बैठा,

पके दाना तुम्हीं लातीं।

दया कर के परोसीं वो,

मिटी जो भूख खाने से।

कसम से आज सब भूला,

तुम्हारा प्यार पाने से।

न डरना तुम जमाने से,

यही बातें सिखाई है।

अँधेरे पार जाना है,

उजाले को बुलाई है।

व्यथा अपनी सुनाया मैं,

नयनजल की बही धारा।

लगी है नेह माता से,

दिखे हैं भोर का तारा।

असल में यूँ बदल जाये,

अधूरी रात का सपना।

करेगा कर्म तुम बेटा,

समर्पण भाव से अपना।

भरोसा तुम नहीं तोड़ो,

सुनो संदेश तू मेरा।

खुली काया तुम्हीं पाया,

यही आँचल तुम्हें घेरा।

एस. के. पूनम

प्राथमिक विद्यालय बेलदारी टोला, फुलवारीशरीफ

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