सहज हिंदी सरल भाषा,
धरातल भी दिवाना है।
कहीं बिंदी कहीं नुक्ता,
जमाना भी पुराना है।
चलीं कलमें जगी आशा,
कुशलता को बढ़ाना है।
थकी हिंदी गलत सोचा,
समग्रता को उठाना है।
भरी ओजें सभी मन में,
विचारें भी सुभाषित है ।
पढ़े पोथी गये काशी,
लिखें हिंदी अभाषित है।
भ्रमण करके चले आए,
हमेशा से प्रभाषित है।
निराला भी लिखें छंदें,
गढ़े वो साज भाषित है।
सुनो मेरी मुझे जानो,
पदों का भी विधाता हूँ।
सिहासन ने दिये उपमा,
अलंकारें गिनाता हूँ।
कहानी है किताबों में,
अज्ञानी को पढ़ाता हूँ।
गढ़ी शैली लिखा गीतें,
तराने भी सुनाता हूँ।
एस. के. पूनम
प्राथमिक विद्यालय बेलदारी टोला, फुलवारीशरीफ
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