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विवाद का परिणाम – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

Jainendra

एक बिल्ली ने रोटी पाई
दूसरे ने भी आँख गड़ाई,
इतने पर दोनों आपस में
करने लगे छीना- झपटी।

एक ने कहा मैंने देखी
ज्यादा नहीं बघारो शेखी,
बिना कमाए खाना चाहती
तुम तो हो बड़ी ही कपटी।

दूसरे ने भी पूंछ हिलाई
गुर्रा कर के आँख दिखाई,
अकेले नहीं मैं खाने दूंगी
आगे बढ़ कर वह झपटी।

एक बंदरिया देख रही थी
मन में रोटी सेंक रही थी,
लाओ मैं बंटवारा कर दूं
दोनों को ही वह डपटी।

गलती का एहसास हुआ तब
समझौता मैं कर लूंगी अब,
दोनों ने हिम्मत कर बोली
बीच में तूं कहाँ से टपकी?

बंदरिया ने डाँट पिलाई
है दूर रहने में तेरी भलाई,
पंचायत बिना कैसे लेगी, सुन
दोनों की सांसें अटकी।

ऐसे कैसे तुम्हें जाने दूंगी
अपनी हिस्सा नहीं खाने दूंगी,
इतना कह सारी रोटी उसने
झट से अपने मुंह में गटकी।

जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
मन.वि. बख्तियारपुर, पटना

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