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वीरता की गाथा व संदेश – सुरेश कुमार गौरव

 

शस्त्रों की शान, देश धर्म की पहचान,

हर युग में जिनसे गौरव पाता इंसान।

वीर सपूत गुरु गोविंद, महान अधिनायक,

सच्चाई का दीप जलाने वाले गुरुनायक।

पिता ने शीश दिया, धर्म की खातिर,

हर जन के लिए कर्तव्य की रीत बतलाई

कंटकों के साए में त्याग की ज्योति जलाई,

गुरु गोविंद सिंह ने वीरता की परिभाषा सिखलाई।

चार पुत्रों का बलिदान दिया,

न्याय और धर्म के लिए ही जिया

संत भी, सिपाही भी, दोनों स्वरूप,

हर हृदय में आज भी बसते अनुपम रूप।

“सवा लाख से एक लड़ाऊँ,”

दुश्मनों के दिलों में तूफान जगाऊँ।

ऐसे थे गोविंद सिंह, धर्म के रखवाले,

मिटा दिया अन्याय, जो मानवता को खाए।

गुरुवाणी में प्रेम का संदेश दिया,

शस्त्रों से अधर्म का नाश किया।

आन-बान-शान के प्रतीक बने,

वीरता से अमर, इतिहास रचे।

हे गुरु गोविंद! आपको शत-शत प्रणाम,

आपसे ही सीखा है बलिदान के आयाम।

धर्म की धरती पर आपकी गाथा अमर है,

आपका संदेश हर युग में अजर है।

सुरेश कुमार गौरव, उ. म. वि. रसलपुर,
फतुहा, पटना, बिहार

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