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शिक्षक की चाह-अपराजिता कुमारी

Aprajita

मैं शिक्षक हूंँ,
हाँ मैं शिक्षक हूंँ

मैंने चाहा शिष्यों को
शिखर तक ले जाने
वाला बनूं,

मैंने चाहा अपने मन में
क्षमा की भावना रखूं,

कमियां दूर कर उनमे
आत्मविश्वास भर कर
सफलता तक पहुंचाऊँ,

मैंने चाहा हर पल शिष्यों पर
अपना नेह,स्नेह लुटाऊँ,

भविष्य की अनसुलझी,अबूझ
कठिन,विपरीत चुनौतियों
के लिए तैयार करूं,

मैंने चाहा हमेशा उन्हें
सृजनशील,नेतृत्वकर्ता
बनने को प्रोत्साहित करूं,

पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी
बौद्धिक परंपराओं का
मार्गदर्शक बनूं,

तकनीकी कौशल
संचरण की धुरी बन
सभ्य समाज निर्माण का
निर्माता बनूं,

मैंने चाहा अतीत की
सफलता,विफलता एवं
वर्तमान आवर्तन घटनाओं से
विशेष ज्ञान,मार्गदर्शन करूं,

मैंने चाहा शिक्षा का
अलख जगाऊं
शिक्षा के प्रकाश से संसार को प्रकाशित करूं,

शिष्यों में नैतिकता,सत्य
अहिंसा,त्याग,राष्ट्रीयता
की भावना विकसित करूं,

देश के नौनिहालों को
विकसित,उन्नत,स्वच्छ
मानसिकता प्रदान करूं,

हां मैं शिक्षक हूंँ
हां बस इतना ही
मैं चाहूं।

अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
जिगना जगरनाथ
प्रखंड-हथुआ 
गोपालगं

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