आओ सब बच्चों मिल चलें स्कूल,
इस बार हम सबसे कोई न हो भूल!
पढ़-लिखकर सबको पाना है ज्ञान,
दूर करना है सबका मन का अज्ञान!
किताब कलम है अपना सच्चा मित्र,
इनसे सीखें सब अपना जीवन चरित्र!
तुमसे ही खिलती देश की आबादी,
करो न अब कभी समय की बर्बादी!
सबके लिए समय बड़ा है मूल्यवान,
हम सबको सदा बनना है ज्ञानवान!
पढ़ने का है हम सबका मूल अधिकार,
सबको मिले अपना ये अधिकार!
बागों के फूल से होते हैं सब बच्चे,
दिल से बिल्कुल होते हैं अच्छे-सच्चे!
बचपन किसी का न छीना जाए,
शिक्षा ज्ञान से सबको बीना जाए!
जो बच्चे हों जब-जब शिक्षा से दूर,
उन्हें शिक्षा ज्ञान मिले सदा भरपूर!
सामाजिक आत्म-जागरूक है करना,
अनपढ़ नहीं है रहना,मन में है भरना!
सब मान्यता सब जानें यह अधिकार,
जो बचपन छीनें उनका करें प्रतिकार!
शिक्षा ज्ञान हो हर बच्चों के दिलों में,
खिलेंगे, महकेंगे, दमकेंगे फूलों में!
आओ सब बच्चों मिल चलें स्कूल
इस बार हम सबसे न हो कोई भूल!
@सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक, पटना (बिहार) मेरी पूर्णतः मूल रचना