शिवम नम:
तुम व्रह्म हो व्रह्माण्ड के
जीवंत मूल सार के,
सहस्त्र गंग धार के,
तुम प्रेम के प्रकाश के,
अनंत दिग दिगंत के,
तुम ब्रम्ह हो ब्रह्माण्ड के,
नमः शिवम, शिवम नमः।
तुम शौम्य चन्द्रशेखरम,
भुजंग तुंग मालिकम,
जटा व जुट नन्दनम,
प्रसन्न व सुलोचनम,
धरा धीरेंद्र मधुव्रतम,
नमः शिवम,शिवम नमः।
अनंत नाद अनहदम,
अनंत अग्नि शीतलं,
अनंत दाह सौम्यतम,
अनंत प्राण विप्लवम,
नमः शिवम, शिवम नमः।
तू शेष भी, अशेष भी,
तू आदि भी तू अंत भी,
देवत्व भी, सुरत्व भी,
अनादि भी, अनंत भी,
नमः शिवम, शिवम नमः।
तुम व्यक्त भी, अव्यक्त भी,
तुम मूल भी, अमूल भी,
तुम एक भी ,अनेक भी,
घटा में भी, जटा में भी,
धरा में भी, शिवा मेभी,
नमः शिवम, शिवम नमः।
तुम शिव भी, शिवा भी तुम,
शिवत्व तुम, जड़त्व तुम,
लघुत्व तुम,महत्व तुम,
असार तुम व सार तुम,
ब्रह्म व प्रकाश तुम,
गरल भी तुम, सुधा भी तुम,
नमः शिवम, शिवम नमः।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार

